वाराहमिहिर : उज्जैन के निकट कपित्था नामक ग्राम मे 499 ई. मे पैदा हुए। प्रसिद्ध खगोल शास्री तथा गणितज्ञ आर्य भट्ट के सम्पर्क मे आने के कारण खगोल तथा ज्योतिष शास्त्रो मे अनुराग पैदा हुआ। शीघ्र ही इन विद्याओ में पारंगत हो गए तथा चन्द्र गुप्त विक्रामादित्य के दरबार में अके न्यात्नो मे शामिल हो गए। इन्होने ही सर्वप्रथम घोषित किया की पृथ्वी में एक आकर्षण शाक्ति है जिसके कारण सभी पदार्थ उससे चिपके रहते है। जिसे गुरूत्वाकर्षण के नाम से पुकारा जाता है। उसका वास्तविक नाम मिहिर था। ‘वाराह’ चन्दुगप्त द्वारा दी गई उपाधि थी। उन्होने कई पुस्तको की रचना की जिनके नाम है- पंचसश्वान्तिका, बृहत सांहिता, ब्रहज्जातक आदि जिनमे ज्योतिष का खजाना भरा पड़ा है। इनका सन 587 ई. मे स्वर्गवारप हुआ
आर्य भट्ट : सन 476 ई. मे केरल मे पैदा हुए। नालंदा विश्वविद्यालय मे विद्याध्ययन किया, बाद मे इसी मे अध्यक्ष बने। इन्होने सर्वप्रथम प्रतिपादित फिया की धरती गोल है तथा अपनी धुरी पर घूमती है जिसके कारण दिन ओर रात होते है। खगोल शास्त्र के अलावा ये प्रसिद्ध गाणितज्ञ भी थे। इन्होने (पाई) का मान बताया, तथा (sin) की तालिका भी तैयार की। ax- by = c जैसी समीकरण का हल निकाला। “आर्यभट्टीय” नामक पुस्तक की रचना की। जैसे- ज्यामितिय, मेसुरेशन, वर्गमूल, घनमूल, आदि। आर्य भट्ट सिद्धान्त उनकी दुसरी पुस्तक है। भारत के प्रथम उपग्रह को इनका नाम़ दिया गया
पतंजली : ये ईसा पूर्व शताब्दी मे हुए। अपनी पुस्तक ‘ योगशास्त्र’ मे योग का विविध वर्णन प्रस्तुत किया। उनके अनुसार मानव शरीर मे नाडियाँ तथा चक्र विद्यमान है। जिने सही प्रकार से सयोजित करके मनुष्य असीम शाक्ति प्राप्त कर सकता है। उनके द्वारा प्रतिपादित अनेक बाते अब विश्व मे वैज्ञानिको द्वारा सिद्ध की जा रही है।
बीरबल साहनी : 14 नवम्बर 1891 को पंजाब के मेड़ा स्थान पर जन्म हुआ। लंदन विश्वविद्यालय से 1991 मे DSC की डिग्रीलेकर ए. सी. स्टीवर्ड प्रसिद्ध वनस्पती वैज्ञानिक के साथ कार्य आरंभ किया। 1929 मे वे कैब्रिज विश्वविद्यालय से DSC की उपाधि पाने वाले प्रथम भारतीय बने। 1936 मे रॉयल सोसायटी के फैले चुने गए। बिहार मे अनेक पौधो की खोज की। वनस्पति विज्ञान के आतिरिक्त कुछ प्राचीन चट्टानो की आयु ज्ञात की तथा पूरातत्व विज्ञानी की तरह कार्य करते हुए 1936 मे रोहतक मे पुराने सिक्को की खोज की।
विक्रम साराभाई : इनका जन्म 12 अगस्त 1919 को एक सम्पन्न परिवार में हुआ। इनकी रुचि गाणित तथा भौतिक विज्ञान मे थी। इन्होने भौतिक विज्ञान मे शिक्षा के लिए “फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी” की स्थापना की। इनका विशेष ध्यान कास्मिक किरणो के अध्ययन मे था लेकिन इनकी पहचान भारत मे space युग के आरम्भ कर्ता के रूप मे है। यद्यपि वे स्वयं अपने द्वारा आरंभ किए गए कार्यो का परिणाम अपने जीवन मे नही देख पाए किन्तु प्रथम उपग्रह आर्य भट्ट को आकाश मे भेजने की पूरी योजना इन्हीं के द्वारा बनाई ग्ई थी। इनके कार्यो को मान्यता देते हुए चाँद पर बने Craters मे से एक का नाम इनके नाम पर है।
भास्कर प्रथम : आप सातवी शताब्दी के प्रमुख खगोल शास्रियो मे से एक थे जो ब्रहमगुप्त के समकालीन थे। भारत का दूसरा उपग्रह उनके नाम पर है।
भास्कर-द्वितीय : आप का जन्म बीजापुर कर्नाटक मे 1114 ई. मे हुआ। ब्रहमगुप्त से प्रेरणा लेकर ये प्रसिद्ध ज्योतिषी तथा गाणितज्ञ बने। इनकी प्रसिद्ध पुस्तक ‘सिद्वान्त शिरोमणी’ मे एक अध्याय ” लीलावती ” नाम से अंकगणित, दूसरा अध्याय बीजगाणित, ” गोलाध्याय ” नाम के अध्याय में गोलको (Spheres) तथा ” ग्राहगाणित ” नाम के अध्याय मे सौरमंडल की भीमांसा करता है। बीजगाणित के समीकरणों को हल करने के लिए इन्होंने ” चक्रवाल ” नाम से एक विधि विकासित की जो यूरोपियन गाणितज्ञो द्वारा 600 वर्षों बाद ‘Inverse Cycle’ नाम से विकसित की गई है, इनकी पुस्तक मे गोलको के क्षेत्रफल तथा आयतन, त्रिकोणमिति तथा क्रमपरिवर्तन – सयोंग (Permutation- Combination) से सम्बान्धित अनेक समीकरणो का वर्णन है। इन्हें अवकलन गाणित (Differenrial Coefficient) तथा (Rolls Theorem) कहा जाता है। इसकी झाकी भी इनकी पुस्तक मे है।
नागार्जुन : आंध्र प्रदेश अमरावती क्षेत्र मे प्रथम शताब्दी ईस्वी मे जन्मे प्रसिद्ध विद्वान एवं अपने समय के प्रसिद्ध रसायनज्ञ थे। इनकी प्रसिद्ध पुस्तक रसरत्नाकर में रजत, स्वर्ण, टिन तथा तांबा जैसी धातुओ के, उनके स्त्रोतो से निष्कर्षण, आसवन, द्रवीकरण, ऊधर्वपातन, आदि की विस्तृत व्याख्या की गई है। इन्होने अमृत बनाने तथा धातुओ को स्वर्ण मे परिवार्तित करने के लिए भी अनेक प्रयोग किए। इनकी पुस्तक मे अनेक उपकरणो के चित्र भी दिए गए है। एक अन्य पुस्तक ‘ उत्तरतंत्र ‘ प्रसिद्ध पुस्तक सुश्रूत संहिता की पूरक के रूप मे जानी जाती है। जिसमे इन्होंने अनेक दवाइयों को बनाने के प्रयोग लिखे है। इनकी अन्य पुस्तके है, ‘ आरोग्य मजंरी ‘, ‘ कक्ष पुतातन्त्र ‘, ‘ योग सार ‘ तथा ‘ योग शतक ‘।
हरीश चन्द्र : 11 अक्टूबर 1923 को कानपुर मे पैदा हुए। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम. एस. सी. किया। इनकी रूचि भौतिक में थी। विदेश मे जाकर पॉली के साथ काम करने का अवसर प्राप्त हुआ। बाद में उन्होने गाणित को अपना क्षेत्र चूना ओर गाणित की एक विशेष शाखा जिसे ‘Infinite dimensional group representation theory’ का नाम दिया गया। उनका देहान्त 16 अक्टूबर 1983 को अमेरिका में हुआ।
सी. के. एन. पटेल : आपका जन्म 2 जौलाई 1938 को पूना के पास वारामती में हुआ। 1958 मे आपने टेलीकम्यूनिकेशन्स मे B.E. की डिग्री ली ओर उच्च शिक्षा के लिए अमरीका चले गए। इनकी मुख्य उपलब्धि कार्बन डाइआक्साइड लेजर की खोज थी जो विज्ञान तथा टेक्नोलोजी के अनेक क्षेत्रो की शिक्षा के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध हुई।